Wednesday 6 December 2017

बुरे काम का फल साखी


यह उस समय की परमार्थ सखी है जब बड़े महाराज जी रावलपिंडी में थे | एक बार की बात है एक फौजी था | उस समय फ़ौज में जंग छिड़ गई | दुश्मन ने फौजी से गोलीबारी शुरू हो गई | फौजी घोड़ी पे था | अचानक घोड़ी बेकाबू हो के दुश्मन की तरफ चली गई | फौजी ने बहुत रोक पर वो न रुकी | दुश्मन ने घोड़ी के भी गोली मर दी और फौजी के भी | दोनों को मर दिया | फ़ौज मैं फौजी का हिसाब बनिए के पास होता था | फौजी के घर वाले उसका सारा सामान ले के गए पर वो पैसे नहीं लेके गए क्यों के उनको नहीं पता था और न ही बनिए को | थोड़ी समय बाद फौजी ने नौकरी छोड़ और अपने घर वापिस आ गया | फौजी ने घर आए कर शादी कर ली | २० साल हो गए इस बात को और फिर एक दिन वो बनिया बाबा जी के दोस्तों को मिला और अपने घर कहने के लिए ले आया | वो लोग बनिए के घर रुक गए जब रात को खाना खाने लगे तो रोने के आवाज सुनाई देने लगी | तो बाबा जी के दोस्तों ने कहा की यह आवाज़ कहाँ से आ रही है |तो बनिए ने कहा कुछ नहीं आप खाना खाओ | तो उन्हों ने कहा के नहीं पहले बताओ | तो बनिए ने बताया के यह मेरे बहु है1 १ महीने पहले मेरे बेटे की मौत हो गई थी | फ़ौज मैं से आने के बाद मेने शादी कार्लि और मेरे घर एक लड़का हुआ | लड़का बहुत बीमार रहने लगा | आखरी दिन मैं उसने अपने पिता को बताया के मैं अवहि फौजी हूँ जिसके २००० तेरे पास थे और यह मेरे पत्नी जो है यह वही घोड़ी है जीने मुझे धोके से दुश्मन से मरवाया था अब मेरा हिसाब पूरा हो चूका है और मेरा हिसाब आपसे पूरा हुआ आब मैं जा रहा हूँ |

शिक्षा - जो बुरे काम हम अपने जीवन में करते है उस्नका फल हमे इसी जीवन में ही भुगतना पड़ता है

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