Saturday 9 December 2017

चाय वाले की साखी


यह बात काफी पुरानी है | एक बार बाबा जी सत्संग करके आ रहे थे | रस्ते मैं बाबा जी का मन चाय पिने को हुआ | उसनहो ने अपने ड्राइवर को कहा के बेटा हमे चाय पीनी है | ड्राइवर गाड़ी 5 स्टार होटल के आगे कड़ी कर दी बाबा जी ने कहाँ नहीं आगे चलो यहाँ नहीं , फिर ड्राइवर गाड़ी किसी होटल के आगे कड़ी कर दी | बाबा जी ने वह भी मन कर दिया | काफी आगे जाके एक छोटी सी दुकान आई बाबा जी ने कहाँ की यहाँ रोक दो यहाँ पे पिटे हैं चाय | ड्राइवर चाय वाले के पास गया और बोला के अछि से चाय बनादो | जब दुकानदार ने पैसों वाला गल्ला खोला तो उसमे बाबा जी क सरूप लगा हुआ था | बाबा जी का सरूप देख कर ड्राइवर ने दुकानदार से पूछा के तुम इन्हे जानते हो कभी देखा है इन्हे| 
तो दुकानदार ने कहा के मेने इनको देखने जाने के लिए पैसे इकठे किये थे जी के चोरी हो गए | और मैं नहीं जा पाया |और मुझे यकीन है के बाबा जी मुझे यही आ कर मिलेंगे | तो ड्राइवर ने कहा के जाओ और चाय उस कार मैं दे कर आओ |
तो दुकानदार ने बोला के अगर मैं चाय देने के लिए चला गया तो कहीं फिर से मेरे पैसे चोरी न हो जाये | तो ड्राइवर ने कहा की चिंता मत करो अगर ऐसा हुआ तो मैं तुम्हारे पैसे अपनी जेब से दूंगा | दुकानदार चाय कार मैं देने के लिए चला गया |
जब वहां उसने बाबा जी के देखा तो हैरान हो गया | आँखों मैं आंसू तो बाबा जी कहा के तूने कहा था के मैं तुम्हे यहीं मिलने आओं और अब मैं तुमको मिलने आया हूँ तो तुम रो रहे हो |
इतना प्यार था उस आदमी के अन्दर आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे | जब मन सच हो और इरादे नेक हो तो भगवन को भी आना पड़ता है | अपन भगत के लिए | आप भी बाबा जी को दिल से याद करा करो बाबा जी आपकी भी बात सुने गे|

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