संगत मैं आदमी रोते हुए उठा और बोला की बाबा जी मैं छोटी जात का हूँ जिस वजे से मुझ से यहाँ पर कोई अचे से बात नई करता और ना ही कोई सेवा करने का मौका देता है मेने सोचा था के मालिक के घर सब बराबर है पर यहाँ पर ऐसा बेधभाव क्यों किया जाता है
बाबा जी ने बड़े सख्त शब्दों में कहा कोई न जब तक मालिक बड़ी जाट वालों को छोटी जाट वालों मैं जन्म नहीं देता यह नहीं सुधरेंगे बाबा जी के गुस्से वाले यह अल्फ़ाज़ सुन कर बाबा जी के आगे हाथ जोड़ लिए और माफ़ी मांगी
बाबा जी ने बड़े सख्त शब्दों में कहा कोई न जब तक मालिक बड़ी जाट वालों को छोटी जाट वालों मैं जन्म नहीं देता यह नहीं सुधरेंगे बाबा जी के गुस्से वाले यह अल्फ़ाज़ सुन कर बाबा जी के आगे हाथ जोड़ लिए और माफ़ी मांगी
बाबा जी ने फरमाया कि हम किसी बन्दे को निचा समझते हैं या उसको नफरत करते है तो याद रखो के हम उस मालिक को ही नफरत| हर जीव के अन्दर वो मालिक बैठा है | मालिक ने तो इंसान को बनाया था यह जात पात तो हमने बनाई है |
जो यह सोचता है के मैं बढ़ी जात का हूँ केवल मुझे ही भगती करने का अधिकार है वो सबसे बढ़ा मुर्ख है
जो यह सोचता है के मैं बढ़ी जात का हूँ केवल मुझे ही भगती करने का अधिकार है वो सबसे बढ़ा मुर्ख है
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